Tuesday, December 1, 2009

विख-1


किथे गुम न थी वञे असांजी सुञाणप - वासुदेव 'सिंधु भारती'
ग़ज़ल - नारी लछ्वानी
जहिं घर उस न वञे , तंहिं घर डॉक्टर वञे - गोपाल हासाणी




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