खेतनि एवज़ि घर,
छिति ते हलंदा हर ।
काठु नदारद वण ,
चौधर फाईबर ।
उडि॒रनि कीन पखी ,
शहर लगा॒या पर ।
कड॒हिं न भञंदी थकु ,
साणी नज़र नज़र ।
कांधी कारुनि में ,
पंधु न डि॒सिबा सर ।
पाप विया वधंदा ,
उन खां वधि मंदर ।
रिश्तनि में हो रसु ,
अजु॒ मंगल छंछर ।
आवाज़ उहे सागि॒या ,
ट्रां ट्रां कनि डे॒ड॒र ।
मुअलु मुअलु आ मनु ,
जिअरो तनु आ, पर ।
महिलनि में डि॒सिजनि,
माण्हुनि जा खंडहर ।
--------------नारी लछवाणी भोपाल फोन-0755 2641962
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